Tuesday, June 2, 2009

तन्हा-तन्हा इन रातों का,
एक नूर कहीं काफूर हो गया,
वादा था रात बिताने का साथ,
सपना ये नासूर बन गया

खुशियों में हम डूब चुके थे ,
ग़मों को सारे भूल चुके थे,
स्वर्णिम जीवन के आगमन का,
अहसास जहन में दाल चुके थे.

पर एक तरफा ये सोच थी शायद,
और शायद ही दिली -कवायद ,
की मैं गया था मोह्हबते -इकरार के लिए,
पर बिना फरमाए ही चला आया,

मैं ज़ारा -ज़ारा पुकारता रहा
वो बिना मुडे चलती गयी
काल्पनिक मिलन की वो रात,
दुखी वीर सी बीत गयी

1 comment:

  1. gud job.. chalo ishq nae dil tora to ek shaayar paida hua..

    "ishq mein hum tumhein kya bataayaen, chot dil pae khaayae huae hain, aajbhe aap nahe hain nahaayae, aajbhe tann pae kaprae wahe hain..." hahahah


    abhinav

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